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आज एक जानवर ने इन्सान की जान ले ली .दुःख से दिल भर -भर आ रहा है .चैनलों ने इस वाक्या को पूरी गंभीरता से लिया है .अब वक्तव्य और सफाई शुरू हो गया .सारी संभावनाए जो इस अनहोनी को लेकर बताई जाने लगी है वे लीपापोती के ओर बढ़ते कदम ही है .चिड़ियाघर में व्यवस्था की कलई खोलती यह मार्मिक घटना प्रश्नो का अम्बार लिए है .प्रत्यक्षदर्शी युवक का ‘मैं अब चिड़ियाघर नहीं जाऊंगा ‘का निर्णय पूरी व्यथा को व्यक्त कर दे रहा है .सुरक्षा सदर्भ में ब्यान की युवक स्वयं कूद गया ,ने ब्यान को म्यान में ही टुकड़ों में जाता दिया .पब्लिक रिलेशन अधिकारी को अंदेशा की वह नशे में था .यहाँ दोनों बातें उन्हें ही कटघरे में खड़ा करतीं है जो सुरक्षा और जांच के लिए जिम्मेवार है . घटना के फूटेज साफ़ जाहिर करतें है की बाघ आक्रमन करने की संभावना में हरगीज नहीं लगता .अगर सुरक्षा सही ढंग से कार्य करती होती तो घटना में छात्र सलामत बचाया जा सकता था .वहा मौजूद लोगों ( दर्शक और कर्मी )ने पत्थर मार के बचाना कितना बचकाना काम किया मानो हमारा क्या हम तो सेफ है .ऐसे नील के टब में रंगे लोग भीड़ के साथ हाथ लगे मुज़रिम! पर हुआ -हुआ करते खुद को शेर ही समझते है . इस घटनाओ पर जांच -जांच का सरकारी खेल अयोग्यता व् अक्षमता को ससम्मान पद, प्रतिष्ठा देने की परिपाटी रखती तो है ही ! ईश्वर युवक के परिवार और सभी मर्माहत को शक्ति दें
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