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माँ जगदम्बा की विशेष आराधना का सवश्रेष्ठ समय प्रारम्भ है .सर्वत्र शक्ति की पूजा हो रही है .समय भी शक्ति को हीं संरक्षित करता है .शक्ति वास्तव में बाह्य में समझने की भूल ने इसके अपव्यय का मार्ग ही पकड़ लिया है .हमारे पुरातन व् आधुनिक महापुरुषों ने इसे समझा और स्वयं की क्षमता को अनन्य प्रमाणित कर बताया भी .किंचित पाश्चात्य प्रवृति ने भारतीय धारणा को प्रभावित किया और स्वयं की आत्मिक शक्ति के सफल विकास को बाह्य व् भौतिक सामर्थ्य को विकसित करने की धारणा ने प्रतिस्थापित करने हेतु आवेगपूर्ण सफलता दिखाया है .यहां निश्चित रूप से कहा जा सकता है की यह बदलाव जरूर है किन्तु भारतीय शैली में इतनी जबरदस्त गहराई व्याप्त है की यहां कुछ काल के लिए यह असर होता है परन्तु स्थाई हरगिज नहीं रहता .भारतीय राष्ट्राध्यक्ष श्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका में भारतीयों ने हाथों में लोक लिया है ,जिसमे अपने वतन से दुरी के दर्द की वास्तविक स्वरूप को समझा जा सकता है .अर्थात ‘दिल है ही हिन्दुस्तानी ‘. जब हिन्दुस्तान का दिल” जो था ,जो है और जो होगा ” ,सब को अपना ही मानता है तो फिर अन्धकार के मार्ग पर काहे को ! परिणाम पता हो तो भी गलत रास्ता क्यों ! अब समय स्पष्ट कह रहा की अपने अंदर के इंसान को जगाये . इस नवरात्र और विजयदशमी के पावन अवसर पर सर्वप्रथम स्वयं के भीतर बसे विभिन दुर्गुण रूपी राक्षस का वध करें वरना वक्त अपना काम तो करेगा ही .
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