Menu
blogid : 19050 postid : 794174

भोजपुरी ह अमृतवाणी -नाज या लाज

shashwat bol
shashwat bol
  • 86 Posts
  • 77 Comments

भोजपुरी को जनभाषा के रूप में सर्वाधिक प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त है .सर्वविदित है भी की भोजपुरी भाषा -भाषी राष्ट्र के कोने -कोने में ही नही बल्कि दुनिया में जहां भी गए है अपनी श्रेष्ठ भूमिका में विकाश की चादर बुनने में लगनशील रहें है .भारतीय प्रांतों में अपने अखडपन तथा चारित्रिक सौंदर्य के बल पर सुरक्षा से लेकर नेतृत्व तक की भूमिका सर्वथा सक्षमता से निभा रहें हैं . दुनिया के दर्जन भर देशों यथा मॉरीशस ,फ़िजी ,गुयाना ,त्रिनिदाद आदि में गिरमिटिया की गुलामी प्रथा व् अन्य परिस्थितियों में गए . जहां अपनी मातृ भाषा को मन -मष्तिष्क और होठों से बिसरा नहीं पाये .यही नहीं कलांतर में वहां अन्य विदेशी बोली से सामंजस्य बनाते हुए भोजपुरी के वैश्विक रूप के भाषा -वर्ग को ही संश्लेषित करने का वैज्ञानिक कार्य सहजता से संभव भी हुआ .आज विश्व में भोजपुरी अंतराष्ट्रीय स्वरूप के लिए उत्साहित है विडंबना है की भोजपुरी हिन्दुस्तान में ही संविधान की अष्टम अनुसूची में स्थान पाने के लिए अपमानजनक रूप से प्रतीक्षारत राखी गई है . जबकि भोजपुरी के अपेक्षा सीमित क्षेत्र की भाषा मैथिलि आठवी अनुसूची में पूर्व से शामिल हो के गौरवान्वित है .साहित्य की विभिन्न विधाओं में भोजपुरी साहित्यकार आधुनिक भोजपुरी साहित्य की ठोस अभिवृद्धि कर रहे है .परन्तु भोजपुरी साहित्य प्रणेता ,शोधकर्ता और उच्चतर कक्षाओं के विद्यार्थी सभी अभाव ,अपमान ,असन्तोष झेल रहे हैं .नतीजतन उनके सृजन ,उन्नयन और परिमार्जन कार्य में अपनी योग्यता व् क्षमता का पूर्ण गुणवत्तायुक्त प्रयोग नही कर पा रहा .अब समय आ गया है की भोजपुरी भाषा क्षेत्र के तमाम जनप्रतिनिधी भोजपुरी के सघर्ष मे वास्तविक योगदान दें . संवैधानिक द्वार पर सुदामा बने भोजपुरी भाषा की उपहासजनक अवस्था प्रतिनिधियों के उपेक्षा को भी दर्शाता है .लोकतंत्र के राष्ट्रीय नायक से भोजपुरी सम्मान की उम्मीद विश्वास के बदौलत बरकरार रखे है .

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh