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वर्तमान भारतीय नेतृत्व के विरोध में विपक्षी विशेष कर कांग्रेस पार्टी ज्यादा सक्रियता दिखाने में पिल पड़ी है .यह उस दल की मिटटी पलीद स्थिति से उबरने की जद्दोजहद अधिक बनती जा रही है . जिसे आम अवाम ने पिछले लगातार १० वर्ष सत्ता दे कर भी स्वयं को असहाय ही पाया .नतीजतन २०१४ के मई में उस शासन का अंत आमजन ने ही कर डाला . अब देश की कार्यरत मोदी सरकार को अल्पकाल में ही घेरने की उतावली में पूर्वग्रह से भर के भारी विरोध के तर्ज जताने में लगी है . वहीँ भारी अपेक्षा से चुने गए मोदी सरकार के प्रति जनता के झुकाव् को विरोध के नाम पर नजरअंदाज किये कांग्रेस और अन्य दल निश्चित रूप से आमजन के मन से अपनी बची खुची विश्वसनीयता को भी दाव पर लगा रहे हैं .यह जरूर है की इनके पास दूसरी सम्भावना नहीं है .दीगर है की यह अवस्था सूक्ष्म विवेचन की योग्यता सहित अपनी बेदखली से धैर्य त्याग चूका लगता है . तब इन्हे भविष्य खातिर आस भी नहीं प्रतीत हो रहा .जहां नेतृत्व के नाम पर संकट बताने की भीतरी चाह वाले इनके कार्यकर्ता भी अवसरवादी योग्यता से लैस हो अविश्वसनीय सक्रियता बता -जाता रहे है . जनता साफ़ देख -समझ रही है की नरेंद्र मोदी के साथ वैश्विक रंगमंच पर हिंदुस्तान बहुत प्रभावशाली स्वरूप की ओर बढ़ने लगा है . ख़ास बात सीधे है की प्रभावशाली दिशा में भारत गुटबंदी अथवा आंदोलन से नहीं बल्कि शानदार जनसमर्थन के साथ दमदार नेतृत्व के बदौलत ही अग्रसर हुआ है .जनता इस अंतरराष्ट्रीय सम्मान को बेहिचक आत्मसात कर आत्मसम्मान की भूमिका समझने लगी है .विदेश में बसे हिन्दुस्तानियों के उत्साह ने वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व के प्रति भारी विश्वास दिखाया है .पूर्व के भारतीय नेतृत्व के चर्चित व् निंदनीय कमजोर रूप से सभी ओर भारी असंतोष भी हो चुका था .फिर तो स्थानापन्न नेतृत्व की क्षमता भी वैश्विक योग्यता के अनुरूप मिली है जो जनता जनार्दन के भाव तथा आकांक्षा को विश्व में मूर्त व् सुदृढ़ स्वरूप से विकसित अवश्य करने में समर्थ दृष्टिगत है . राष्ट्रिय योजनाओं में आमजन की भागीदारी ने रिकॉर्ड स्तर प्राप्त कर सहज ही जन विश्वास व्यक्त किया जिसके कार्यकाल पूर्णता पर ही समग्र आकलन संभव बनता है .जनता कालावधि का मूल्य समझती है .वैसे जन दूध की जली तो है मगर अपनी उम्मीदों के साथ राष्ट्र अभिभावक की दृढ इक्क्षाशक्ति व् मजबूत कार्यशैली का भरोसा तो रखती ही है . भले आधुनिक विदेशी शैली में रक्षात्मकता के बजाए बेदखल होने का गम गलत करने हेतु तेज आक्रमण अख्तियार करें .ऐसी स्थिति में अपना वेग ही हानिकारक और अपने ही दुखदाई बोझ बन सकने के चांस अधिक दिखते है . ————अमित शाश्वत
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