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लाख नाउम्मीदों को चर्चा का भाव बना कर वक्त को बुरा साबित करने की चेष्टा द्वारा विषयांतर किया जा रहा है .फिर भी स्वयं के नजर से काम लेने वाला उम्मीदों के भाव लखने में ज्यादा ध्यान लगाने की भूमि समझने लगा है . पीछे के दशको में उम्मीदों की फसल सिमित रूप से सम्भावनाय लिए चलती रहीं .आज भारत का नागरिक एक सहज प्रवाह की दिशा में राष्ट्र को चलने की जरुरत महसूस करने लगा है .इसके पीछे हिन्दुस्तान में नेतृत्व के प्रभावशाली स्वरूप के उदय से सीधे जोड़ा जा सकता है .ऐसे समय में अगर धर्म ,सम्प्रदाय ,वर्ग या जात -पात आधारित विभेदजनक मांग अथवा प्रयास किया जाता है तो इसके पीछे विकास के जबरदस्त सम्भावना को छिन्न – भिन्न करने की कोशिश ही समझा जाएगा .कश्मीर में पाकिस्तान परस्त अलगाववाद की तमन्ना हो या भिंडरवाले को जिन्दा करने की हिंसातमक कार्यवाई अथवा नक्सल के आड़ में देश को अस्त – व्यस्त बनाना ,ऐसे तमाम राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए आमजन से लेकर प्रत्येक हिंदुस्तानी में जबरदस्त खिलाफत के भाव उठने लगे हैं .इतना ही नहीं अगर मंदिर के नाम पर राजनितिक चाल हो रही है इस पर आम हिन्दू की प्रतिक्रिया तक भारत को वर्तमान विकास की ऐतिहासिक सम्भावना से अलग करने का षड्यंत्र ही समझता है .अगर योग से मुसलमान को दूर रखने की चेष्टा मुस्लिम नुमाइंदे करते हैं तो आम मुसलमान हास्यास्पद साजिश मानता है .अगड़े – पिछड़े की शर्त पर और जातिगत समीकरणों के मद्दे पार्टियां सत्ता – लोभ में विकास के विरुद्ध टूटे गाँठ पर गठबंधन /समझोता करतें है तो आमलोग भोगरोग देख करके शोक महसूस करतें ही हैं .वैश्विक रूप से मिलरहे सम्मान तथा उभरते राष्ट्र के निवासियों को अब बरगलाया नहीं जा सकता . ——————–अमित शाश्वत
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