Menu
blogid : 19050 postid : 918301

चौथे खम्भे पर वार safal media sansar

shashwat bol
shashwat bol
  • 86 Posts
  • 77 Comments

भारतीय संविधान में लोकतंत्रीय व्यवस्था हेतु विधायिका ,न्यायपालिका और कार्यपालिका की अवधारणा स्पष्ट है .लोकतंत्र की सफलता के दृष्टिकोण से मानवीय अभिव्यक्ति के सन्दर्भ में प्रावधान से मीडिया की भी परम्परा सुदृढ़ है .जिस लिहाज से मीडिया ने लोकतंत्र के चतुर्थ स्तम्भ के स्वरूप में स्थान बनाया है .आजादी के पूर्व से ही भारतीय पत्रकारिता संघर्ष और आंदोलन का पर्याय बनी .भारतीय स्वतंत्रता प्राप्ति में पत्रकारिता का चिरस्मरणीय योगदान है .जिस आजादी के क्रम में भारतीय प्रेस ने अंग्रेजों का कुठाराघात झेला , उसीने आजादी के बाद अपने देश में चुनी हुई सरकार के आपातकाल का कहर भी झेला .कई तरह से संघर्ष करता भारतीय प्रेस अपने आधुनिक क्षमता और योग्यता से संपन्न हो चला है .अभी हाल में मीडिया कर्मियों की की हत्या ने देश और लोकतंत्र को घायल कर दिया है .देश इसलिए की मीडिया देश की बोलता है तो देश मीडिया की बोलता है और यही लोकतंत्र का तकाजा भी है .मीडिया पर लगातार होने वाले हमले सीधे संविधान पर प्रहार है,इसी संविधान में भारत की शासन व्यवस्था निहित है .जहां शासन प्रबंध की बात है सरकार के तीनों अंग को अपना कार्य संपादित करने के दृष्टि से सुरक्षा व् सहयोग देने के लिए सुरक्षा तंत्र का प्रवधान भी है . जिसका भारी प्रयोग भी किया जाता है . यहाँ सीधा सवाल खड़ा होता ही है की जब लोकतंत्र के पक्ष में मीडिया भी काम करता है तो इसे भी कार्य करने के लिए पर्याप्त और सहज सुरक्षातंत्र क्यों नहीं .जिस प्रकार आधुनिक संसाधनों ने मीडिया को सुदृढ़ विश्वसनीयता प्रदान किया है उसी अनुपात से मीडिया को आधुनिक स्वरूप से स्वतंत्र सुरक्षातंत्र का भी प्रावधान किया ही जाना चाहिए . जो सुरक्षा चक्र समवेत कार्य करती है वह पुलिसिंग मीडिया -सुरक्षा के लिए जवाबदेही से पल्ला झाड़ने में लगी रहती है .वहीँ मीडिया के दृष्टि एव दृष्टिकोण की व्यापकता के जद से प्रतिद्व्न्दी जैसा भी समझ लेता है .फलस्वरूप मीडिया मैन खतरे में काम करने और जीने की जद्दोजहद करता रहता है .हॉलमे मीडियाकर्मियों की हत्या ने सुरक्षा -शासन को बेपर्दा कर दिया है .मीडिया की लोकतंत्र में बढ़ती आधुनिक भूमिका और महत्त्व ने विशेष स्वरूप पाया है .जिसकी सुरक्षा देश के भविष्य का संरक्षण ही होगा .समय की मांग है की मीडिया के समर्थपूर्ण सुरक्षा के लिए सार्थक स्वरूप में स्वतंत्र सुरक्षातंत्र विकसित किया जाए .——————–अमित शाश्वत

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh