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फर्जी के चलन ने किसी को न छोड़ने की प्रक्रिया पकड़ ली है . डॉक्टर ,इंजीनियर अफसर ही नहीं राजनेता भी फर्जी का तोहमत पाने लगे है .बिहार ने तो गाय ,भैस को स्कूटर पर ढोये जाते घोटाले को देखा है .हिंदुस्तान ने पिछले शासनकाल में कोयले की कालिख से रंगी सत्ता भी देखि .खेल घोटाला ,स्पेक्ट्रम घोटाला भी देख ही लिया .ये सारे घोटाले एक फर्जी प्रक्रिया को दर्शाते है .’आप ‘ पार्टी ने रिकॉर्ड तोड़ के दिल्ली का शासन पाया .अब उस पर फर्जी डिग्री धारी मंत्री का आरोप आया है .आरोपी मंत्री महोदय कस्टडी में है .इनके मंत्रियो की दिल्ली में ज्यादती भी जाहिर हुई है . कुछ नेताओ पर महिला उत्पीड़न का भी आरोप आ चुका है . कई जगह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अन्य को जेल भिजवाने का आरोप बताने वाले कई स्वयं जेल पहुंच गए तो कुछ समीप है.कितने निर्दोष भी फर्जी बता – जता के ऐसे फर्जियों द्वारा आरोपी भी बनाये गए हैं .आज के दौर में फर्ज के लिय समर्पित नेता .अधिकारी अथवा साधारण लोग को किनारे कर मरीज घोषित करने की कोशिश भी होती है ताकि फर्ज की परिपाटी ही नेस्तनाबूद हो जाए .जिसके पीछे मुख्य रूप से वैसे ही फर्जी भूमिका वाले है जिनको अपने सौदेबाजी से प्राप्त विजय पूरी तरह मदमस्त किये रहता है .जबकि इन फर्ज में खपने वालों का फर्जियों के पास तो जवाब और काट नहीं रहता .नतीजतन फर्ज को जिंदगी मान के जीने वाले से सहारा लेके भी फर्जी -स्वार्थी योद्धा फर्ज को मर्ज बता ,उन्हें ही समाप्त करके अपनी सौदेबाज व् फर्जी रूप को जगजाहिर होने से रोकने की चेष्टा करता है .वास्तव में फर्जी लोगों की टोली नील रांगेय गीदड़ की होती है जो लोमड़ के चालाक दल में या बैलों के बलशाली दल में भी आख़िरकार हुआ – हुआ कर भेद जाहिर कर ही देता है .ऐसे फर्जी गीदड़ों में से कई तो साँढ़ के मांसांस गिरने के इंतजार में पीछे लग के हास्यास्पद अवस्था को प्राप्त हो जाते हैं .मगर सत्य है की फर्ज की प्रक्रिया प्रकृति से अनुरूपता वाली कोशिश है .जिसे घायल कर मर्ज बनाना अँधेरा कायम करने का प्रयास ही है . ——-अमित शाश्वत
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