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जीवन के चौराहे पर युवा शायद ही जनता है की उसे जीवन में किस राह जाना उचित होगा ,किस विधि चले व् पहुंचेगा कहाँ . प्रत्येक युवा के लिए के हरेक कालक्रम में सबसे बड़ा सवाल यही होता रहा है और आगे भी इसकी ही सम्भावना बनती है .इसी क्रम में युवा अपनेआप को किसी अंधकार की तरफ बढ़ता महसूस करता है .जीवन के इस कालक्रम के दरम्यान वह नाउम्मीदी से दो चार होता ही है .जब वह अपने बांजुओ के बल तथा सम्पूर्ण ऊर्जा से अपने ,समाज एव देश के भविष्य का भाग्य निर्माता हो सकता है तब स्वयं को निःसहाय पाकर सांसारिक – कृत्रिम ब्लैक होल के सुपुर्द हो पड़ता है. व्यवस्था की उपेक्षा व् असंवेदनशील भूमिका , गरीबी का अभिशाप ,सौतेलेपन,तिकड़मबाज ,ईष्या -द्वेष की अनैतिक सामाजिक परिस्थितियों के निरन्तर आपदकारक से निर्मित इस अंध गर्त को पार पाना विरले संभव है . ऐसे समय प्रधानमंत्री जी ने स्किल इंडिया कार्यक्रम को प्रस्तुत करके वर्तमान के सबसे गंभीर समस्या बेरोजगारी की जद्दोजहद झेलते युवाओ के के लिए उम्मीद की रोशनी दिखा दी है . उन युवाओ को आशा होने लगी है जो अनेक वर्षों से उम्मीद छोड़ ही डाली थी .जो अपनी पढाई छोड़ चुके ,जो आर्थिक हालत से मजबूर हो छोटा मोटा काम कर जीवनयापन में संलग्न हैं या फिर जो असुविधा व् परिस्थिति के मद्देनजर हुनर प्राप्त करना चाहते हैं .स्किल विकास का यह प्रोग्राम जहाँ अकुशल को कुशलता देगा ,हुनरमंद को भी ट्रेनिंग देगा ताकि मान्य हो .इस योजनानीति को सबसे ऊपर ले जानेवाला व्यवाहरिक समस्या निवारण का प्रावधान यह आया है जिसके द्वारा तमाम व्यक्तियों को प्रशिक्षण देकर प्रमाणपत्र दिया जाना है जिससे उनकी विधवत मान्यता संभव है .शिक्षित और बगैर डिग्री वाले प्रशिक्षणोपरांत समानकुशल होंगे . इस स्किल इंडिया मिशन के कार्यान्वयन की शीघ्रता और व्यापकता से भारी जरुरत है जिसकी सफलता में अंतिम छोर पर खड़ा हिंदुस्तानी अपने बेहतर वर्तमान के साथ समृद्ध भविष्य बनाने का अवसर समझ सकेगा . ———————– ——————-अमित शाश्वत
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