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जब उकसाने से बात न बने ,ना ही आस – पास से सहयोग मिले तब कोई भी अपने सृजित शत्रु के प्रति खिसियानी बिल्ली के तरह खम्भे पर नाख़ून नष्ट करता है . भले चूहा पकड़ने में भी नाख़ून बगैर आगे वह नाकामयाब हो जाए . यही स्थिति पाकिस्तान की हो गई है .उकसाने के उद्देश्य से रह – रह भारतीय सीमा पर फायरिंग और सीज फायर उलंघन के खूब कोशिश से हिंदुस्तान को बहकाया नहीं जा सका . जब हिंदुस्तान ने सीधी आक्रमक शैली में मयन्मार में आतंकवादियों के पीछे कब्बडी करते उनके अड्डों को नष्ट किया और खदेड़ डाला तब पाक को अपना भविष्य चाक लगने लगा .उसके मुशर्रफ ने “चूड़ी नहीं पहना ” तो किसी जवाबदेह ने एटमी ताकत को जता के अंदर की घबराहट व् बेचैनी दिखा ही दी .आतंकवादियों से घिर चुकी उनकी सरकार स्वयं के आगे कुआँ पीछे खाई समझती है . नतीजतन इधर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारतीय नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से वैश्विक मंच पर कश्मीर व् आतंकवाद पर भारत के अनुकूल सहयोग की सहमति दी .लेकिन शीघ्र ही अपने मांद में पहुंच के वो बहक गए. अगर पाकिस्तान में दूरदर्शी है तो संभवतः चाह के भी पाक के भविष्य के सार्थक कह नहीं सकता और न ही कार्य का सोंच सकता है . दरअसल आज पाकिस्तानी सरकार आतंकवादियों के भरोसे निबाह करने की जद्दोजहद कर रही है . चाह माने तो जनरल की तरह ये आतंकवादी सत्ता में प्रत्यक्ष काबिज हो जाए . गनीमत है की दरकिनार हुए पाकिस्तानी आम अवाम की डेमोक्रेटिक जांबाजी को छेड़ने के डर से ढँक के आतंकवाद शासन में शामिल लगता है . हिंदुस्तान ने बड़े धैर्य व् सहनशीलता से काम लिया है .हिंदुस्तानी भाईचारे को तव्वजो देते ही जा रहे है . ताजा रिलीज फिल्म ” बजरंगी भाईजान ” में हिंदुस्तान के भाव को दिखाया गया है . जिसमे भाईचारे को बनाने एवं बढाने का सार्थक – सफल फिल्मांकन प्रदर्शित भी हो रहा है . जहाँ तक पाकिस्तान के ,उकसाने – भड़काने पर हिंदुस्तान के जवाबी कार्यवाई का प्रश्न है तो यहाँ विरोध के नाम पर राजनितिक रोटी सेकने वाले बाधक है ./ऐसी कार्यवाई को मुद्दा बना सत्ता हासिल की कोशश करेंगे . भले हिंदुस्तान का भाईचारा , सहिष्णुनता व् अमन दावं पर लग जाए . खैर आइए ईद के पवित्र अवसर पर बजरंगी भाईजान का इस्तकबाल करें . ———— अमित शाश्वत
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