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एकलव्य का आधुनिक ऐरावती अंदाज और नयनसुखों के खम्भ-ज्ञान का बोझ

shashwat bol
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बिहार में समीप आते विधानसभा चुनाव के सिलसिले अपनी – अपनी शैली , गठजोड़ तथा प्रभाव के दृष्टि में दल ,नेता कौशल लगाने को व्यग्र व् बेताब हुए जा रहे है . किसी ने कुछ कहा तो विपक्षी उसे काट करने में पील पड़ रहे हैं . पूरा माहौल चुनाव की बयार को प्रवाहित होने की कोशिश में सहयोग बनने लगी है . एक – एक की बात करना एक बार में घड़े में हाथी घुसाने की जद्दोजहद हो जायगी . इसलिए बिहार के आसन्न चुनाव के केंद्र बिंदु स्थान प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी को स्वतः विपक्ष के आपसी अवसरवाद की जोड़तोड़ से मिलना कोई आश्चर्य व्यक्त नहीं करता . अब तक राज्य में तीन दौरा मुजफ्फरपुर , गया , आरा व् सहरसा का कर के बिहार के आमोआवम को सम्बोधित भी किये . सर्वप्रथम डीएनए के सवाल से ही कतिपय लीडरान पटरी छोड़ के बदहवास से हो पड़े . ऐसे इस मुद्दे को जनसामान्य से जोड़ बिहारी इशू बनाने की चेष्टा और ही चक्के को गढ्ढे में फंसाने की भूमिका साबित हो गई . फिर गया की ऐतिहासिक सभा में चन्दन – सांप , जहर पान को सवाल में समेट ” कौन जहर पी रहा , कौन पीला रहा ” से दोनों का अन्योंश्रय सम्बन्ध साबित कर मोदी जी ने जनता के मन को दिशा दिखा दी . अब इतने पर तो पटरी से उतर गए विपक्षी नेतृत्व में बौखलाहट पुरे सबाब पर आ ही गया . फिर सभी ओर से उस्तादी में प्रवीण नेतावों ने चक्रव्यूह में घेरने की चेष्टा भी करते ही रहे . ये सारी क्रिया – प्रक्रिया से अंदाज मिल गया की आधुनिक युग के अनुकूल एकलव्य ने शनै शनै पूरी योग्यता पा कर ही अपनी क्षमता देश को न्योछावर करने की युगीन नीतिगत कार्य- योजना का जिम्मा उठाया . अन्यथा शिष्यत्व के छाव तले बड़ी लकीर के फ़िराक में ,चीनी बनने की सनक में ,गुड की सोंधी खुसबू न पाने की असफलता में, सोंधेपन को नष्ट तक करने की अंधियै भूमिका जाहिर करने वाले फ़क़ीरी की सम्भावना में कम्बल ओढ़ घी तक एहसास गिनने की धुरी बताने लगते हैं .कुल मिला के समाज के कमजोर महिला – पुरुष प्रताड़ना झेल के उलाहने की जबरदस्त बौछार करते हैं जो उनके मनोभाव को तुष्ट करने की जद्दोजहद बताता है . काफी कुछ ऐसे ही तुष्टिकरण की मज़बूरी बिहार के कतिपय नेतागण अपनी राजनीती व् भविष्य जिन्दा रखने हेतु करने की कोशिश में लगें है . प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अस्सी वर्षीय योद्धा बाबू कुँवर सिंह की धरती आरा ( भोजपुर ) में तो आदरणीय मोदी जी ने इतना विशाल व् ऐतिहासिक सहयोग बिहार के लिए घोषित कर दिया की उन नेतावों की बेपटरी अवस्था दिवालिया माफिक लगने लगी . अंदाज की बात में तो मोदी जी का क्या कहना इतनी अत्याधुनिक प्रक्रिया के साथ की योग्य वैश्विकता स्वयं प्रकट हो गई . सुनने में आया की लोकसभा जीत की मोदी जी के चुनाव टीम से व्यवसायिक व्यक्ति को बिहार में किसी पार्टी ने हायर किया . खैर . .कुछ गुण तो खरीद – भुगतान से भी हस्तगत हो जाय ! अब तो वैसे भी हाय – तौबा चल ही पड़ी है , होनी ही थी , हो भी रही है . ऐसा लग रहा है मानों शेर ने लकड़बघ्हे व् भालू के इलाके को रौंद के भविष्य का संकट दिखा दिया . लेकिन मैं इस आधुनिक लोकतंत्र को उस एकलव्य की परकाष्ठा अनुभव करता हूँ जिसमे सम्पूर्णता से एकलव्य ने अपनी आधारभूत पौराणिक क्षमता पाया है और अपनी योग्यता को स्वर्णिम ऐतिहासिक मान्यता की पृष्ठभूमि जता कर आधुनिक हिंदुस्तान में सम्भावनावों की उर्वरता को वैश्विक भूमि तक स्थापित करने हेतु तमाम मुश्किलों को टक्कर देने का इरादा दिखाया है . मतलब साफ है हिंदुस्तान की शानदार भविष्य निर्माण की दिशा व् भूमिका अपने प्राकट्य को मनवा रही है . महान नीतिकार कौटिल्य महोदय की निर्माण शक्ति के प्रतिष्ठापन स्वरूप सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने सिकंदर महान को भारत विजय के अभियान से सर्वथा वापस किया था . वर्तमान हिंदुस्तान और उसी मगध की धरती बिहार से माननीय नरेंद्र जी भाई मोदी ने एकलव्य की योग्यता – क्षमता को पर्दर्शित भी किया जिसका लोहा वैश्विक रूप से माना जाने लगा है . तो स्पष्टतया मगध की पवित्र भूमि से “हिंदुस्तान द ग्रेट “और “मोदी इज़ बेस्ट ‘ मानना अपने गौरव को पहचानने की गंभीर चेतननात्मक प्रवृति ही है . ——————— अमित शाश्वत

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