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गुरु, गीता,एवं हिंदुस्तानी कालजयी भूमिका

shashwat bol
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गुरु की महत्ता ब्यान करने हेतु ” गुरु गोविन्द दोउ खड़े काके लागूं पाँव , बलिहारी गुरु आपणो गोविन्द दियो बताये ” द्वारा गुरु की सर्वश्रेष्ठता स्वयंसिद्ध हो ही जाती है . यहाँ इस धारणा से सर्वथा असहमत होने का प्रश्न नहीं ही लगता . सत्य भी ऐसा ही प्रतीत होता है . पौराणिक भारतीय अवधारणाएं बहुत हद तक सनातनता के परम्परा से अवलम्बित रही है . सनातन आदि गुरु के स्वरूप में भोले नाथ शिव बाबा को हिंदुयों के सार्वभौम ब्रह्माण्ड – गुरु का स्थान प्राप्त है .श्रीकृष्ण के गुरु संदीपन को भी सार्थक व् समर्थ गुरु का स्थान मिला है .रामावतार में प्रभु राम के गुरु विश्वामित्र की श्रेष्ठता भी है .शिष्य आरुणि की गुरु के प्रति समर्पण प्रेरणाप्रद है .महाभारत के रणक्षेत्र में महायोगी श्रीकृष्ण की सनातन गुरु भूमिका में अर्जुन को गीता द्वारा सर्वकालिक ज्ञान प्रदान करना अबतक ज्ञात सर्वश्रेष्ठ गुरु परम्परा का धोतक है . इन शिक्षा – संदेशों को श्रीमदभगवद गीता में महर्षि वेद व्यास जी ने उपलब्ध कराया है . जिसके श्लोकों की व्याख्या – विवेचना हेतु असंख्य ग्रन्थ रचे गए व् हजारों व्यख्यान हुए . लेकिन गीता जी को सर्वथा पूर्ण व्यख्यायित करलेने की सफलता संभवतः किसी महानुभाव ने उल्लिखित नहीं की है .अर्थात श्री गीता जी मानो ब्रह्माण्ड को सारतत्व में प्रणीत है , वह भी अपने सर्वश्रेष्ठ नायक के मुखारबिंद से प्रस्फुटित हो कर . आज यह मानना व् कहना की श्रीमदभगवद गीता विश्व के श्रेष्ठतम ग्रन्थ के लिए अप्रतिम है जिसमे भूत , वर्तमान एव भविष्य के साथ धर्म , कर्म एव ज्ञान की अतुलनीय स्वरूप विकसित हुई है तो जगतगुरु भारत के प्रति कृतग्यता ही होगा . क्योंकि भरत भू आर्यावर्त से लेकर आज के हिन्दुस्तान तक ने संसार को जो दिया है उस के अपेक्षा लिया तो नगण्य मगर चुकाया भरी भरकम है . हिंदुस्तान की भूमि पर प्रवेश करने वाले विदेशी आगंतुक या आक्रमणकारी निश्चित रूप से “सोने की चिड़िया भारत” के प्रति आकर्षण को बेसम्भाल जताया . जिस क्रम में ज्ञात फाहियान , huentsang , मेगस्थनीज jaise yatriyon का भारत आगमन हुआ . सिकंदर महान के आक्रमण , अरबों के सिंध विजय , महमूद गजनवी के १६-१७ हमले , नियलत्गीन, मुहम्मद गोरी , तैमूरलंग जैसे आतताइयों ने भारत को लूटने की भरसक चेष्टा की . पुर्तगाली वास्को दी गामा भारत भूमि पर सन 1497 में कालीकट में आया . जो एक क्रम की शुरुआत थी . १५२६ के पानीपत – प्रथम युद्ध में बाबर ने दिल्ली सल्तनत के अंतिम वंश लोदियों के इब्राहिम लोदी को शिकस्त दी और मुग़ल साम्राज्य की नीवं रखी . 1611 में मुसलिप्तम् में अंग्रजों का पहला आगमन तत्कालीन मुग़ल बादशाह जहांगीर के काल में संभव हुआ .जिसका परिणाम मुग़ल के उलट तो हुआ ही हिंदुस्तान की आजादी समग्रता से बेड़ियों के बंधन जकड़ गई . फिर १९४७ तक हिंदुस्तान अपनी स्वतंत्रता की जद्दोजहद झेलते रहे . इस इतिहास ने भी भारत में गुरुओं की सम्भावना व् सफलता को चिन्हित किया . सिकंदर को वापस धकेलने वाले चन्द्रगुप्त मौर्य के आचार्य चाणक्य को जो स्थान निर्माण की ऐतिहासिक स्वरूपगत सफलता का है वो तब से आज तक संभवतः आगे भी अतुलनीय बना रहेगा . मुग़ल बादशाह महान अकबर के बलय्वस्था से गुरु एव अभिभावक बैरमख़ाँ की भूमिका भी हिंदुस्तान के इतिहास की भूमि बनाई . मराठा साम्राज्य के संस्थापकों में शिवाजी की माता व् गुरु जीजाबाई एवं गुरु – शिक्षक दादाजी कोंडदेव दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका ने शिवाजी को दुस्साहस से भरा लेकिन चपल ,चतुर व् चालक योद्धा बनाया . आधुनिक भारत में पूज्य गुरु रामकृष्ण परमहंस का अद्धितीय स्थान तो हैं हीं , वहीँ उनके विश्व प्रसिद्ध शिष्य नरेंद्र दत्त अर्थात स्वामी विवेकानंद हुए जिनकी अत्याधुिक वैज्ञानिक धार्मिक विचारधारा ने न केवल भारतीय ज्ञान से संसार को अचंभित किया बल्कि विश्व को भारतीय विचारधारा को ग्रहण तथा मान्य करने हेतु बाध्य कर दिया . —- amit shashwat

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