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“रिश्ता तेरा मेरा है आला , तू मेरी मैया मैं तेरा लाला .. ” जैसे माँ – बेटे के ममत्व और स्नेहपूर्ण सम्बन्ध के लिए समूचा हिंदुस्तान दुनिया में श्रेष्ठ माना गया है . यशोदा के लाला श्रीकृष्ण की लीलाये अद्वितीय है तो जन्मदाता माता देवकी व् पिता वासुदेव की पुत्र के सुरक्षा हेतु ममत्व , वात्सल्य के जज्बात को नियंत्रित करना भी अनुपम है . हिंदुस्तान की उर्वरा सभ्यता तथा संस्कृति में असंख्य ऐसी कृतित्व व् भाव का समावेश है जिनमे माँ – पिता ने अपना सर्वश्व संतान पर न्योछावर किया . आज भी इस हार्दिक विचार के लिए हिंदुस्तान अग्रगण्य है . जबकि पाश्चात्य जगत में इस प्रकार के रिश्ते दरकिनार माने जाते है . लेकिन उसी पश्चिम जगत के यात्रा में हिन्दुस्तानी नेतृत्व के अदभुद आधुनिक स्वरूप प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी को पलकों पर जगह दे कर स्वागत तो किया ही गया साथ ही बेहद व्यक्तिगत बातों की चर्चा पूरी आत्मीयता से की गई . पी एम मोदी जी ने जब अपने माता जी के जीवन संघर्ष के विषय में बताया और काफी भावुक हो गए . उनका गला भर गया , आवाज लड़खड़ा गई और आखें नम हो गईं. जिससे दुनिया के लिए ऐतिहासिक अवस्था बनी . क्योकि आज वैश्विक रंगमंच पर नरेंद्र मोदी के रूप में हिंदुस्तान का सर्वाधिक समर्थ नेतृत्व मौजूद हैं . जिनके प्रति संसार सम्पूर्ण सकारत्मकता से देख रहा है . अपने मजबूत नेतृत्व के वजह से हिंदुस्तान के लिए सारे जहाँ में जबरदस्त क्रेज उत्पन्न किया है . और उसी नरेंद्र मोदी के नेत्र से आसूं बह ही गए .६४ वर्ष का प्रधानमंत्री एक बालक की भांति माँ के त्याग और तपस्यामय जीवन के संघर्ष की चर्चा से पिघल गया . देखने – सुनने वाले स्वयं मर्माहत हो पड़े . लेकिन हिंदुस्तानमें विरोध के नाम पर जीने वाले राजनीतिज्ञ बेहद संवेदनहीनता तथा निर्लज्जता से पी एम के मार्मिकता को आलोचना भी किये . ये निश्चित रूप से निंदा ही नहीं निकृष्टता का व्यवहार माना जाएगा . जबकि हिन्दुस्तान का आमोअवाम इस आसूं के मूल्य व् मर्म को भली भांति समझता है . सचमुच किसी को अगर अपने माता के त्याग और तपस्या पूर्ण जीवन के लिए भावुक होने की गुंजाइश होती है तो यह सौभाग्य की बात है . ऐसी माँ का पुत्र होना गौरव की एवं स्वाभिमान की बात है . इन्ही माताओं ने भारत को सौभाग्य मंडित होने की परम्परा को निभाया है . ऐसी सभी माताओं को कोटि – कोटि नमन . —– अमित शाश्वत
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