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जल्दी आसमान में आजा वो मेहमान , सुख चुकी धरती , जल बिन खड़ा यान ; टकटकी टूटे नहीं , शाम या बिहान जल्दी आसमान में आजा वो ……(१) लगता कल ही की बात जो तू आया , भरमाय मानो सुने ,टप्प – टप्प कान ; सुना घर लहके , दिल – दिमाग वीरान जल्दी आसमान में आजा वो ……(२) जब तू आता रहता खिले अरमान , विजय दम्भ बने रहे तेरे काम ; ढीली प्रत्यंचा हुई , लगे अब विराम जल्दी आसमान में आजा वो …..(3) आगमन तेरा करे जीवन चलायमान , जीते हम सब तेरे ही दम- दान ; सबको भींगता , स्वयं अछूता रसिक महान जल्दी आसमान में आजा वो …..(4) भागती – भटकती जिंदगी को पनाह सरेआम , बाधेश्वर बंधू – बांधव बने , कैसे फिर आराम ; आठ पहर अब बून्द को तरसे , कहाँ विश्राम जल्दी आसमान में आजा वो ……..(5) निरुद्देश्य जीवन फिर भयभीत आन , ईंट – कंक्रीट के सौदे , बोझिल हुए मान ; नहीं ढ़ोने को तुझ सा शीतल ये अभिमान जल्दी आसमान में आजा वो ………(६) सूरज बाबा दिखलाते शान , चन्दा परेशान , कृषक हीरा – मोती जोड़ी संग हलकान ; अढाई घड़ी के ओज खो चुके अब तो प्राण जल्दी आसमान में आजा वो मेहमान , जल्दी आसमान में आजा वो मेहमान …… . —————– अमित शाश्वत
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