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आदिकालीन मानव सभ्यता ने निरंतर विकास के पथ पर चलते हुए वर्तमान के आधुनिक दौर तक का सफर तय किया है . इस कालक्रम की अथाह संघर्ष गाथा में विकासशील उपलब्धियों ने समाज को दिशा दिखाई . जिसके नतीजतन आज मानव सभ्यता – संस्कृति की दृष्टि से आधुनिक विकास की बड़ी लकीर खीच डाली है . इन्ही उत्थान की परम्पराओं में हिन्दुस्तान ने अपनी पौराणिक आधार तत्व से विकास की प्राचीन , मध्यकालीन ऐतिहासिक भूमिका संपन्न करते आधुनिक एवं वर्तमान विकास की रुपरेखा लगातार परिवर्धित होती चली आई है .हिंदुस्तान की अपनी विशेष विषशञता में त्याग , तपस्या और संयमित जीवनधारा की सहज शैली पुरे विश्व के लिए अनुकरणीय बनती चली है . जिसे हिंदुस्तान के आत्मस्वरूप महात्मा गांधी ने मिसाल की मशाल बना दी . इस प्रकाश स्तम्भ ने आख़िरकार विश्व के मानवीय सूर्य की भांति विश्व अहिंषा दिवस के स्वरूप से प्रतिष्ठापना कर ली है . अभी पिछले वर्ष से अंतराष्ट्रीय नियामक मान्य संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारतीय पहचान व् आधार की योग प्रणाली को मान्यता स्वरूप ” विश्व योग दिवस ” को निर्धारित करके न हिंदुस्तान की सक्षम शैली को समर्थ जाहिर किया बल्कि भविष्य में हिंदुस्तान की सभ्यता , संस्कृति को पूर्ण प्रमाणिकता से विश्व में सहज स्वीकार की भूमिका को व्यक्त ही किया है . इस शैली में हिन्दुस्तान के महज आमस्वरूप से आत्मसात परम्पराएं भी विज्ञानं व् नवविचार से प्रेरित आधुनिकताके समक्ष समर्थ ही मानी जाएगी . अभी कुछ प्रतीक्षा की दरकार रह गई है . उत्साहवर्धक ढंग से वर्तमान में हिंदुस्तानी शैली व् प्रभाव को आंकने की दशा बनाई भी है . इस सदर्भ में हिंदुस्तान की ऋषी , संत – महात्मा , पीर – फ़क़ीर , अक्खड़ – फक्कड़ से लेकर गुरु स्वरूप शिक्षक की परम्परा ने समूची दुनिया को चमत्कृत किया तो था ही और विज्ञानं के आधुनिक रूप में रूपांतरित होने का मार्ग भी प्रशस्त किया . इस मार्ग पर चलने वाले उन हिंदुस्तान के वास्तविक निर्माताओं की आधारभूत संरचना की जीवंतता आज भी नींव हेतु अवलम्ब है . आधार तत्व के लिए अवैज्ञानिक माने गए ” कणकण में भगवान ” से आज के ” गॉड पार्टिकल ” के वैज्ञानिक उपलब्धि तक हिंदुस्तानी संज्ञान , मान्य व् शास्त्रीय ज्ञान की धुरी ही केंद्रीय निर्धारित पथ प्रदर्शक दृष्टव्य है . विगत दिनों बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के जयन्ती अवसर पर मानवीय असमानता के विरुद्ध किये उनके संघर्ष को वैश्विक समानता के लिए आदर्श समझ के सम्मानजनक स्वरूप में संयुक्त राष्ट्र संघ ने समारोह पूर्वक याद किया . आखिरकार ये हिंदुस्तानी उपलब्धियां असंख्य संघर्ष गाथाओं की ही प्रणीत है . निःसन्देह वर्तमान में वैश्विक सम्मर्थय के सन्दर्भ में हिंदुस्तानी शासन विभिन्न योग भूमिका में चरितार्थ है . ———– अमित शाश्वत
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