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उड़े नींद ,खोये जाते अब तो मन मीत , प्रीत लगे चोर ,बचा ले प्रेम रीत……… भूले संगी साथी , नादानी और कल्पना
रह गई है अब तो आयातित बचपना , गायब हुई बेधड़क हंसी और बोलना आस पास ही मिल जाते कंश औ पूतना ,
उड़े नींद , खोय जाते अब तो मन मीत
प्रीत लगे चोर , बचा ले प्रेम रीत ……. तेरा मेरा से आगे , हुआ है मैं और मेरा
बन जाए बस मेरी ,बिगड़े किसीकी, नहीं फेरा , पाने की खाली अभिलाषा , बेअसर यारी का गारा गैरों के क्या कहने ! डूबे तो , निकले अपने खारा ,
उड़े नींद ,खोय जाते अब तो मन मीत,
प्रीत लगे चोर , बचा ले प्रेम रीत ……….. जिंदगी दर जिंदगी दिखती मतलब औ जीहजूरी सच्चे पर ही चला करते रौब या की मगरूरी , हेठी जो ताने सीना , पसीने से लथपथ औकात नगरी विजय दंभ भुला , ज़िंदा लगने लगे खखरी( एम्प्टी),
उड़े नींद , खोय जाते अब तो मन मीत,
प्रीत लगे चोर ,बचा ले प्रेम रीत………… ओझल हुई तरुणाई , गौण मन से मन के गीत नाउम्मीद विधा रह गई , हार में जीत , चल पडी सर्वस्व साधना -मांसल आत्महित
परहित बना दिवालिया , ओढ़े खुद भीत (दीवार ), उड़े नींद , खोय जाते अब तो मन मीत
प्रीत लगे चोर , बचा ले प्रेम रीत………….#####
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